Thursday, December 12, 2013

Photo blog series 1

सुनहरे दिन, बेफिक्र श्याम
खामोश रात
चंचल सी मैं
कहा  छोड़ आ गई 

तंदरुस्त बढ़न, युवा अंदाज़
मानसिक बयान
निडर सी मैं
कहाँ छोड़ आ गई

मैत्रिक हर्ष, असीमित हँसी
गुप्त वादे
लौकिक सी मैं
कहाँ छोड़ आ गई

अंतरंग इच्छा, अकथ उत्साह
कामुक बदन
यौन सी मैं
कहाँ छोड़ आ गई

चाहूँ बस एक और मौका
जीने इन लम्हों को
अब अंत है निकट - ज़िन्दगी
मैं तुमको कहाँ छोड़ आ गई 
कहाँ छोड़ आ गई

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